सुना है अब इंटरनेट में लैटिन के साथ ही देवनागरी में भी खोज सुगम होने वाली है। यह एक अच्छी खबर है मगर इससे हिंदी भाषा के पढ़ने और लिखने वालों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ जायेगी, यह आशा करना एकदम गलत होगा। सच तो यह है कि अगर देवनागरी में खोज सुगम हुई भी तो भी इसी मंथर गति से ही हिंदी लेखन और पठन में बढ़ोतरी होगी जैसे अब हो रही है। हिंदी को लेकर जितनी उछलकूल दिखती है उतनी वास्तविकता जमीन पर नहीं है। सच कहें तो कभी कभी तो लगता है कि हम हिंदी में इसलिये लिख पढ़े रहे हैं क्योंकि अंग्रेजी हमारे समझ में नहीं आती। हम हिंदी में लिख पढ़ते भी इसलिये भी है ताकि जैसा लेखक ने लिखा है वैसा ही समझ में आये। वरना तो जिनको थोड़ी बहुत अंग्रेजी आती है उनको तो हिंदी में लिखा दोयम दर्जे का लगता है। वैसे अंतर्जाल पर हम लोगों की अंग्रेजी देखने के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचे है कि लोगों की अंग्रेजी भी कोई परिपक्व है इस...