रीतिकाल

इस युग को रीतिकाल इसलिए कहते हैं, क्योंकि इसमें काव्य-रीति पर अधिक विचार हुआ है। इस काल में कई कवि ऐसे हुए हैं जो आचार्य भी थे और जिन्होंने विविध काव्यांगों के लक्षण देने वाले ग्रंथ भी लिखे। इस युग में श्रृंगार की प्रधानता रही।