गुरुवार, 3 मार्च 2011

प्रत्यय

 प्रत्यय- जो शब्दांश शब्दों के अंत में लगकर उनके अर्थ को बदल देते हैं वे प्रत्यय कहलाते हैं। जैसे-जलज, पंकज आदि। जल=पानी तथा ज=जन्म लेने वाला। पानी में जन्म लेने वाला अर्थात् कमल। इसी प्रकार पंक शब्द में ज प्रत्यय लगकर पंकज अर्थात कमल कर देता है। प्रत्यय दो प्रकार के होते हैं-
1. कृत प्रत्यय।
2. तद्धित प्रत्यय।
1. कृत प्रत्यय

जो प्रत्यय धातुओं के अंत में लगते हैं वे कृत प्रत्यय कहलाते हैं। कृत प्रत्यय के योग से बने शब्दों को (कृत+अंत) कृदंत कहते हैं। जैसे-राखन+हारा=राखनहारा, घट+इया=घटिया, लिख+आवट=लिखावट आदि।
(क) कर्तृवाचक कृदंत- जिस प्रत्यय से बने शब्द से कार्य करने वाले अर्थात कर्ता का बोध हो, वह कर्तृवाचक कृदंत कहलाता है। जैसे-‘पढ़ना’। इस सामान्य क्रिया के साथ वाला प्रत्यय लगाने से ‘पढ़नेवाला’ शब्द बना।


प्रत्ययशब्द-रूपप्रत्ययशब्द-रूप
वालापढ़नेवाला, लिखनेवाला,रखवालाहाराराखनहारा, खेवनहारा, पालनहारा
आऊबिकाऊ, टिकाऊ, चलाऊआकतैराक
आकालड़का, धड़ाका, धमाकाआड़ीअनाड़ी, खिलाड़ी, अगाड़ी
आलूआलु, झगड़ालू, दयालु, कृपालुउड़ाऊ, कमाऊ, खाऊ
एरालुटेरा, सपेराइयाबढ़िया, घटिया
ऐयागवैया, रखैया, लुटैयाअकधावक, सहायक, पालक

(ख) कर्मवाचक कृदंत- जिस प्रत्यय से बने शब्द से किसी कर्म का बोध हो वह कर्मवाचक कृदंत कहलाता है। जैसे-गा में ना प्रत्यय लगाने से गाना, सूँघ में ना प्रत्यय लगाने से सूँघना और बिछ में औना प्रत्यय लगाने से बिछौना बना है।
(ग) करणवाचक कृदंत- जिस प्रत्यय से बने शब्द से क्रिया के साधन अर्थात करण का बोध हो वह करणवाचक कृदंत कहलाता है। जैसे-रेत में ई प्रत्यय लगाने से रेती बना।
प्रत्ययशब्द-रूपप्रत्ययशब्द-रूप
भटका, भूला, झूलारेती, फाँसी, भारी
झा़ड़ूबेलन, झाड़न, बंधन
नीधौंकनी करतनी, सुमिरनी
(घ) भाववाचक कृदंत- जिस प्रत्यय से बने शब्द से भाव अर्थात् क्रिया के व्यापार का बोध हो वह भाववाचक कृदंत कहलाता है। जैसे-सजा में आवट प्रत्यय लगाने से सजावट बना।

प्रत्ययशब्द-रूपप्रत्ययशब्द-रूप
अनचलन, मनन, मिलनऔतीमनौती, फिरौती, चुनौती
आवाभुलावा,छलावा, दिखावाअंतभिड़ंत, गढ़ंत
आईकमाई, चढ़ाई, लड़ाईआवटसजावट, बनावट, रुकावट
आहटघबराहट,चिल्लाहट

(ड़) क्रियावाचक कृदंत- जिस प्रत्यय से बने शब्द से क्रिया के होने का भाव प्रकट हो वह क्रियावाचक कृदंत कहलाता है। जैसे-भागता हुआ, लिखता हुआ आदि। इसमें मूल धातु के साथ ता लगाकर बाद में हुआ लगा देने से वर्तमानकालिक क्रियावाचक कृदंत बन जाता है। क्रियावाचक कृदंत केवल पुल्लिंग और एकवचन में प्रयुक्त होता है।

प्रत्ययशब्द-रूपप्रत्ययशब्द-रूप
ताडूबता, बहता, रमता, चलताताहुआ आता हुआ, पढ़ता हुआ
याखोया, बोयासूखा, भूला, बैठा
करजाकर, देखकरनादौड़ना, सोना

(ख) भाववाचक तद्धित- जिससे भाव व्यक्त हो। जैसे-सर्राफा, बुढ़ापा, संगत, प्रभुता आदि।
प्रत्ययशब्द-रूपप्रत्ययशब्द-रूप
पनबचपन, लड़कपन, बालपनबुलावा, सर्राफा
आईभलाई, बुराई, ढिठाईआहटचिकनाहट, कड़वाहट, घबराहट
इमालालिमा, महिमा, अरुणिमापाबुढ़ापा, मोटापा
गरमी, सरदी,गरीबीऔतीबपौती

(ग) संबंधवाचक तद्धित- जिससे संबंध का बोध हो। जैसे-ससुराल, भतीजा, चचेरा आदि।



(घ) ऊनता (लघुता) वाचक तद्धित- जिससे लघुता का बोध हो। जैसे-लुटिया।

प्रत्यययशब्द-रूपप्रत्ययशब्द-रूप
इयालुटिया, डिबिया, खटियाकोठरी, टोकनी, ढोलकी
टी, टालँगोटी, कछौटी,कलूटाड़ी, ड़ापगड़ी, टुकड़ी, बछड़ा

(ड़) गणनावाचक तद्धति- जिससे संख्या का बोध हो। जैसे-इकहरा, पहला, पाँचवाँ आदि।
प्रत्ययशब्द-रूपप्रत्ययशब्द-रूप
हराइकहरा, दुहरा, तिहरालापहला
रादूसरा, तीसराथाचौथा

(च) सादृश्यवाचक तद्धित- जिससे समता का बोध हो। जैसे-सुनहरा।
प्रत्ययशब्द-रूपप्रत्ययशब्द-रूप
सापीला-सा, नीला-सा, काला-साहरासुनहरा, रुपहरा

(छ) गुणवाचक तद्धति- जिससे किसी गुण का बोध हो। जैसे-भूख, विषैला, कुलवंत आदि।
प्रत्ययशब्द-रूपप्रत्ययशब्द-रूप
भूखा, प्यासा, ठंडा,मीठाधनी, लोभी, क्रोधी
ईयवांछनीय, अनुकरणीयईलारंगीला, सजीला
ऐलाविषैला, कसैलालुकृपालु, दयालु
वंतदयावंत, कुलवंतवानगुणवान, रूपवान
(ज) स्थानवाचक तद्धति- जिससे स्थान का बोध हो. जैसे-पंजाबी, जबलपुरिया, दिल्लीवाला आदि।

प्रत्ययशब्द-रूपप्रत्ययशब्द-रूप
पंजाबी, बंगाली, गुजरातीइयाकलकतिया, जबलपुरिया
वालवाला डेरेवाला, दिल्लीवाला

कृत प्रत्यय और तद्धित प्रत्यय में अंतर


कृत प्रत्यय- जो प्रत्यय धातु या क्रिया के अंत में जुड़कर नया शब्द बनाते हैं कृत प्रत्यय कहलाते हैं। जैसे-लिखना, लिखाई, लिखावट।
तद्धित प्रत्यय- जो प्रत्यय संज्ञा, सर्वनाम या विशेषण में जुड़कर नया शब्द बनाते हं वे तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं। जैसे-नीति-नैतिक, काला-कालिमा, राष्ट्र-राष्ट्रीयता आदि।

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