गुरुवार, 3 मार्च 2011

निराला


निराला


सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला" : एक परिचय

सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला " ने अपना जीवन परिचय एक पंक्ति में देते हुए लिखा है ,"दुःख हीजीवन की कथा रही"। सच में निराला का जीवन दुखों से भरा था और उन दुखों को चुनौती देने ,उनसे जूझने और उन्हें परास्त करने में ही उनका निरालापन था। निराला जी का जन्म १८९६ में पंडित रामसहाय त्रिपाठी जी के घर में हुआ था। त्रिपाठी जी बंगाल में महिषादल राज्य के अंतर्गत मेदिनीपुर में राज्बत्ति में सिपाही थे। अपने पौरुष के कारण वे उस छोटे से जगह में प्रसिद्ध थे और उनका मान था। वे स्वभाव से कठोर तथा अत्यधिक अनुशासन प्रिय थे। प्रायः बालक सूर्यकुमार को छोटे छोटे अपराधो पर भी कठोर दंड दिया जाता था। १९१३ में रामसहाय जी का देहांत हो गया। उस समय निराला जी की आयु १३ बर्ष की थी।

निराला जी बचपन का नाम सूर्यकांत था। ११ बर्ष की आयु में आपका का विवाह मनोरमा देवी जी हो गया था। उस समय आप बिद्यार्थी थे। १९१४ का बर्ष निराला जी के जीवन में अत्यधिक दुखदायी था। उस बर्ष उन के गाँव गढ़कोला में जोकि जिला उन्नाव में था,भयंकर महामारी फैली । इस महामारी में उनके चाचा ,भाई और भाभी का देहांत हो गया। १९१८ में उनकी पत्नी का भी देहांत हो गया। १९ बर्ष की अल्प आयु में उनकी बेटी सरोज की मौत हो गई। पारिवारिक जीवन में ऐसे आघातों ने निराला का मानसिक संतुलन प्रभावित किया। निराला को सांसारिक जीवन से बिरक्ति सी हो गई। वे अत्यन्त बिक्षिप्त सी अवस्था में कभी लखनऊ ,कभी सीतापुर ,कभी काशी तो कभी प्रयाग का चक्कर लगाते रहे । १९५० से वे दारागंज ,प्रयाग में रहने लगे। वही १५ अक्टूबर १९६१ को इनका देहांत हुआ। अनेक अवरोधों और दैवी बिपत्तियो से खिन्नता के बावजूद निराला जीवन पर्यंत साहित्य -रचना से कभी उदासीन नही हुए।
निराला का जीवन और रचनात्मक जीवन ,दोनों ही संघर्ष से भरा हुआ था। उनका स्वाभिमान ,उनकी करुणा ,उनकी साफगोई और साहित्यिक और उच्चतर जीवन मूल्य के लिए उनकी अडिगता उनके संबंधो के आड़े आई. वे टूट गए परन्तु झुके नही :

भर गया है जहर से/ संसार जैसे हार खाकर /देखते है लोग लोगो को /सही परिचय  पाकर 
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दिए है मैंने जगत को फूल -फल/ किया है अपनी प्रभा से चकित -चल/ पर अनश्वर था सकल पल्लवित पल- /ठाट जीवनका वही /जो ढह गया है। 


निराला की रचनाये: (१) खंड काव्य: तुलसीदास
(२)मुक्तक -काव्य: अनामिका ,परिमल ,गीतिका ,कुकुरमुत्ता ,बेला, नए -पत्ते ,अर्चना ,आराधना, गीत-गुंज तथा सांध्य-बेला ।
(३) उपन्यास : अप्सरा ,अलका ,प्रभावती।
(४) कहानी -संग्रह : लिली ,सखी,सुकुल की बीवी तथा चतुरी चमार।
(५)रेखा -चित्र : कुल्ली -भाट, बिल्लेसुर बकरिहा।
(६)जीवनी: राणा-प्रताप ,प्रहलाद और भीष्म

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