गुरुवार, 3 मार्च 2011

शब्द-रचना


शब्द-रचना-हम स्वभावतः भाषा-व्यवहार में कम-से-कम शब्दों का प्रयोग करके अधिक-से-अधिक काम चलाना चाहते हैं। अतः शब्दों के आरंभ अथवा अंत में कुछ जोड़कर अथवा उनकी मात्राओं या स्वर में कुछ परिवर्तन करके नवीन-से-नवीन अर्थ-बोध कराना चाहते हैं। कभी-कभी दो अथवा अधिक शब्दांशों को जोड़कर नए अर्थ-बोध को स्वीकारते हैं। इस तरह एक शब्द से कई अर्थों की अभिव्यक्ति हेतु जो नए-नए शब्द बनाए जाते हैं उसे शब्द-रचना कहते हैं।
शब्द रचना के चार प्रकार हैं-
1. उपसर्ग लगाकर
2. प्रत्यय लगाकर
3. संधि द्वारा
4. समास द्वारा
उपसर्ग

वे शब्दांश जो किसी शब्द के आरंभ में लगकर उनके अर्थ में विशेषता ला देते हैं अथवा उसके अर्थ को बदल देते हैं, उपसर्ग कहलाते हैं। जैसे-परा-पराक्रम, पराजय, पराभव, पराधीन, पराभूत।
उपसर्गों को चार भागों में बाँटा जा सकता हैं-
(क) संस्कृत के उपसर्ग
(ख) हिन्दी के उपसर्ग
(ग) उर्दू के उपसर्ग
(घ) उपसर्ग की तरह प्रयुक्त होने वाले संस्कृत के अव्यय
(क) संस्कृत के उपसर्ग


उपसर्गअर्थ (में)शब्द-रूप
अतिअधिक, ऊपरअत्यंत, अत्युत्तम, अतिरिक्त
अधिऊपर, प्रधानताअधिकार, अध्यक्ष, अधिपति
अनुपीछे, समानअनुरूप, अनुज, अनुकरण
अपबुरा, हीनअपमान, अपयश, अपकार
अभिसामने, अधिक पासअभियोग, अभिमान, अभिभावक
अवबुरा, नीचेअवनति, अवगुण, अवशेष
तक से, लेकर, उलटाआजन्म, आगमन, आकाश
उत्ऊपर, श्रेष्ठउत्कंठा, उत्कर्ष, उत्पन्न
उपनिकट, गौणउपकार, उपदेश, उपचार, उपाध्यक्ष
दुर्बुरा, कठिनदुर्जन, दुर्दशा, दुर्गम
दुस्बुरादुश्चरित्र, दुस्साहस, दुर्गम
निअभाव, विशेषनियुक्त, निबंध, निमग्न
निर्बिनानिर्वाह, निर्मल, निर्जन
निस्बिनानिश्चल, निश्छल, निश्चित
परापीछे, उलटापरामर्श, पराधीन, पराक्रम
परिसब ओरपरिपूर्ण, परिजन, परिवर्तन
प्रआगे, अधिक, उत्कृष्टप्रयत्न, प्रबल, प्रसिद्ध
प्रतिसामने, उलटा, हरएकप्रतिकूल, प्रत्येक, प्रत्यक्ष
विहीनता, विशेषवियोग, विशेष, विधवा
सम्पूर्ण, अच्छासंचय, संगति, संस्कार
सुअच्छा, सरलसुगम, सुयश, स्वागत

(ख) हिन्दी के उपसर्ग

ये प्रायः संस्कृत उपसर्गों के अपभ्रंश मात्र ही हैं।

उपसर्गअर्थ (में)शब्द-रूप
अभाव, निषेधअजर, अछूत, अकाल
अनरहितअनपढ़, अनबन, अनजान
अधआधाअधमरा, अधखिला, अधपका
रहितऔगुन, औतार, औघट
कुबुराईकुसंग, कुकर्म, कुमति
निअभावनिडर, निहत्था, निकम्मा

(ग) उर्दू के उपसर्ग

उपसर्गअर्थ (में)शब्द-रूप
कमथोड़ाकमबख्त, कमजोर, कमसिन
खुशप्रसन्न, अच्छाखुशबू, खुशदिल, खुशमिजाज
गैरनिषेधगैरहाजिर, गैरकानूनी, गैरकौम
दरमेंदरअसल, दरकार, दरमियान
नानिषेधनालायक, नापसंद, नामुमकिन
बाअनुसारबामौका, बाकायदा, बाइज्जत
बदबुराबदनाम, बदमाश, बदचलन
बेबिनाबेईमान, बेचारा, बेअक्ल
लारहितलापरवाह, लाचार, लावारिस
सरमुख्यसरकार, सरदार, सरपंच
हमसाथहमदर्दी, हमराज, हमदम
हरप्रतिहरदिन, हरएक,हरसाल

(घ) उपसर्ग की तरह प्रयुक्त होने वाले संस्कृत अव्यय

उपसर्गअर्थ (में)शब्द-रूप
अ (व्यंजनों से पूर्व)निषेधअज्ञान, अभाव, अचेत
अन् (स्वरों से पूर्व)निषेधअनागत, अनर्थ, अनादि
सहितसजल, सकल, सहर्ष
अधःनीचेअधःपतन, अधोगति, अधोमुख
चिरबहुत देरचिरायु, चिरकाल, चिरंतन
अंतरभीतरअंतरात्मा, अंतर्राष्ट्रीय, अंतर्जातीय
पुनःफिरपुनर्गमन, पुनर्जन्म, पुनर्मिलन
पुरापुरानापुरातत्व, पुरातन
पुरस्आगेपुरस्कार, पुरस्कृत
तिरस्बुरा, हीनतिरस्कार, तिरोभाव
सत्श्रेष्ठसत्कार, सज्जन, सत्कार्य

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